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ॐ जय जगदीश हरे आरती | अर्थ सहित संपूर्ण विष्णु आरती

ॐ जय जगदीश हरे (Om Jai Jagdish Hare) – संपूर्ण आरती अर्थ सहित

ॐ जय जगदीश हरे

मुख्य आरती:

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

अर्थ:
हे जगत के पालनहार भगवान विष्णु! आपकी जय हो।
आप अपने भक्तों और दासों के सभी कष्टों को पल भर में समाप्त कर देते हैं।


फलदायक ध्यान:

जो ध्यावे फल पावे,
दुख विनसे मन का।
स्वामी दुख विनसे मन का॥
सुख संपत्ति घर आवे,
सुख संपत्ति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

अर्थ:
जो भी श्रद्धा से आपका ध्यान करता है, उसे मनचाहा फल प्राप्त होता है।
उसके मन के सारे दुःख दूर हो जाते हैं।
ऐसे भक्त के घर में सुख और समृद्धि आती है,
और शरीर से जुड़ी सभी पीड़ाएँ समाप्त हो जाती हैं।


भगवान ही माता-पिता:

माता-पिता तुम मेरे,
शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी॥
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूँ मैं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

अर्थ:
हे प्रभु! आप ही मेरे माता और पिता हैं।
मैं किसकी शरण में जाऊँ?
आपके सिवा इस संसार में कोई ऐसा नहीं,
जिससे मैं अपेक्षा कर सकूं।


पूर्ण परमात्मा:

तुम पूरन परमात्मा,
तुम अंतर्यामी।
स्वामी तुम अंतर्यामी॥
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

अर्थ:
आप पूर्ण और परम आत्मा हैं, सबके अंतर्मन में निवास करते हैं।
आप ही परब्रह्म, परमेश्वर और समस्त सृष्टि के स्वामी हैं।


करुणा सागर प्रभु:

तुम करुणा के सागर,तुम पालन करता।
स्वामी तुम पालन करता॥
मैं मूरख खलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता ।
ॐ जय जगदीश हरे॥

अर्थ:
आप करुणा के अथाह सागर हैं और सबका पालन करने वाले हैं।
मैं अज्ञानी और सांसारिक इच्छाओं से भ्रमित एक साधारण सेवक हूँ।
कृपया मुझ पर अपनी कृपा बरसाइए।


अगोचर और प्राणपति:

तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति॥
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
मैं तो कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

अर्थ:
आप इंद्रियों की पकड़ से परे हैं और सभी प्राणियों के जीवनदाता हैं।
हे कृपालु प्रभु! मैं आपसे कैसे मिलूं?
मैं तो मूढ़ बुद्धि वाला हूँ, आप ही मार्गदर्शन करें।


दुखहर्ता और रक्षक:

दीनबन्धु दुखहर्ता,
ठाकुर तुम मेरे।
स्वामी रक्षक तुम मेरे॥
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

अर्थ:
हे प्रभु! आप ही दीनों के मित्र और दुखों को हरने वाले हैं।
आप ही मेरे स्वामी और रक्षक हैं।
कृपया अपना वरद हस्त उठाइए और मुझे अपनी शरण में लीजिए।
मैं आपके द्वार पर पड़ा हूं।


पाप विनाश और भक्ति:

विषय विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा॥
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

अर्थ:
हे प्रभु! मेरी सांसारिक वासनाएं (विकार) दूर कीजिए।
मेरे पापों का नाश कीजिए।
मेरे हृदय में श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाइए
ताकि मैं संतों की सेवा कर सकूं।


समापन:

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे॥

भक्त ज़नो के संकटदास ज़नो के संकटक्षण में दूर करेॐ जय जगदीश हरेॐ जय जगदीश हरेस्वामी जय जगदीश हरेभक्त ज़नो के संकटदास जनो के संकटक्षण में दूर करेॐ जय जगदीश हरे

अर्थ:
हे जगद्पति भगवान विष्णु! आपकी ही सदा जय हो।
आप ही हमारे जीवन के सच्चे मार्गदर्शक हैं।


इस आरती के लाभ:

  • मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
  • पारिवारिक सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • यह आरती न केवल पूजा का अंग है, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का साधन है।

External Links :

  1. इस्लामिक वेबसाइट पर विष्णु पूजा पर तुलनात्मक अध्ययन – Britannica
  2. हिंदू धर्म में विष्णु की भूमिका – Hinduism Today
  3. Wikipedia – ॐ जय जगदीश हरे आरती

FAQs – ‘ॐ जय जगदीश हरे’ आरती के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1: ॐ जय जगदीश हरे आरती किस देवता को समर्पित है?

उत्तर: ‘ॐ जय जगदीश हरे’ आरती भगवान विष्णु को समर्पित है, जो सृष्टि के पालनकर्ता और त्रिदेवों में एक हैं। इस आरती में विष्णु भगवान की महिमा, करुणा और कृपा का स्तुति के रूप में गुणगान किया गया है।


Q2: ॐ जय जगदीश हरे आरती कब और क्यों गानी चाहिए?

उत्तर: इस आरती को प्रतिदिन सुबह या शाम की पूजा में गाना श्रेष्ठ माना जाता है। विशेष रूप से गुरुवार, एकादशी, और विष्णु पूजन वाले व्रतों में इसका पाठ मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।


Q3: ॐ जय जगदीश हरे आरती पढ़ने से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर: इस आरती के नियमित पाठ से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। यह मानसिक तनाव दूर करने, नकारात्मक ऊर्जा हटाने और सकारात्मकता बढ़ाने में अत्यंत प्रभावी है।


Q4: क्या ॐ जय जगदीश हरे आरती को रोज़ घर में गा सकते हैं?

उत्तर: हाँ, आप इस आरती को प्रतिदिन अपने घर में पूजा या भजन के समय गा सकते हैं। यह सरल, भावपूर्ण और शक्तिशाली आरती है, जो आपके घर में आध्यात्मिक वातावरण निर्मित करती है।


Q5: क्या ‘ॐ जय जगदीश हरे’ आरती का हिंदी अर्थ जानना आवश्यक है?

उत्तर: हाँ, यदि आप आरती का भावार्थ समझकर गाते हैं, तो उसका प्रभाव अधिक गहरा होता है। हिंदी में अर्थ जानने से श्रद्धा और भक्ति भाव में वृद्धि होती है और आरती से जुड़ाव भी बढ़ता है।


Q6: ॐ जय जगदीश हरे आरती की पीडीएफ या प्रिंट योग्य फॉर्म कहां से प्राप्त करें?

उत्तर: आप इस आरती का पीडीएफ या प्रिंट योग्य फॉर्म PanditJiOnWay.com पर जाकर निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। वहां से आप अन्य आरतियाँ, मंत्र और पूजा विधियाँ भी डाउनलोड कर सकते हैं।


Q6: ॐ जय जगदीश हरे आरती कब गानी चाहिए?

A: यह आरती प्रतिदिन सुबह और संध्या पूजा के समय, विशेषकर गुरुवार, पूर्णिमा और एकादशी को गाने से अत्यंत शुभ फल मिलता है।


Q7: क्या ॐ जय जगदीश हरे आरती से वास्तु दोष दूर हो सकता है?

A: हाँ, श्रद्धा से की गई यह आरती घर के वातावरण को पवित्र करती है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके मानसिक शांति व सकारात्मकता बढ़ाती है।


Q8: क्या इस आरती को केवल मंदिर में ही गाया जा सकता है?

A: नहीं, आप इसे घर, ऑफिस या किसी भी पवित्र स्थान पर गा सकते हैं। यह आरती कहीं भी भगवान विष्णु का स्मरण करने के लिए उपयुक्त है।


Q9: ॐ जय जगदीश हरे आरती किसने लिखी थी?

A: इस प्रसिद्ध आरती की रचना 19वीं शताब्दी में पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी ने की थी। वे एक समाज सुधारक, धार्मिक लेखक और हिंदी साहित्यकार थे, जिन्हें भारत का पहला हिंदी उपन्यास “भक्त प्रल्हाद” लिखने का श्रेय भी प्राप्त है।


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