You are currently viewing Full Siddhi Lakshmi Stotram Lyrics: श्री सिद्धि लक्ष्मी स्तोत्रम
Full Siddhi Lakshmi Stotram Lyrics

Full Siddhi Lakshmi Stotram Lyrics: श्री सिद्धि लक्ष्मी स्तोत्रम

Siddhi Lakshmi Stotram Lyrics: Meaning, Benefits, Significance & Complete Guide | Panditji On Way

Siddhi Lakshmi Stotram Lyrics माँ लक्ष्मी के सिद्धि-रूप की स्तुति है, जो क्लेश, दरिद्रता, भय, बाधाएँ और असफलता को दूर करती है। इसका नियमित पाठ धन, सफलता, मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। सर्वश्रेष्ठ समय सुबह और शुक्रवार माना गया है।

Siddhi Lakshmi Stotram माँ लक्ष्मी के दिव्य सिद्धि स्वरूप की स्तुति है। यह अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र जीवन से रुकावटें, भय, चिंता, दरिद्रता और मानसिक अस्थिरता को दूर करने वाला माना गया है।
नियमित पाठ करने से व्यक्ति को बुद्धि, धन, साहस, कार्यों में सफलता और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

आप चाहे घर, कार्यस्थल, या व्यवसाय में स्थिरता चाहते हों — Siddhi Lakshmi Stotram Lyrics का पाठ अत्यंत लाभकारी है।

Full Siddhi Lakshmi Stotram Lyrics - Panditji on way
Full Siddhi Lakshmi Stotram Lyrics – Panditji on way

Table of Contents

  1. What is Siddhi Lakshmi Stotram
  2. Meaning & Significance
  3. Full Siddhi Lakshmi Stotram Lyrics in Sanskrit
  4. Hindi Meaning & Detailed Explanation
  5. Benefits of Chanting Siddhi Lakshmi Stotram
  6. How to Chant Properly
  7. Table: Benefits, Best Time, Results
  8. Book a Pandit for Puja (Panditji on way)
  9. FAQs
  10. Conclusion

What is Siddhi Lakshmi Stotram?

सिद्धि लक्ष्मी स्तोत्रम माँ लक्ष्मी के सिद्धि रूप का पवित्र स्तुति-गान है।
सिद्धि लक्ष्मी न केवल धन की अधिष्ठात्री हैं, बल्कि—

  • बुद्धि देती हैं
  • निर्णय क्षमता मजबूत करती हैं
  • भय और बाधा दूर करती हैं
  • हर कार्य में सफलता प्रदान करती हैं

इसलिए इसे “सफलता दिलाने वाला स्तोत्र” कहा जाता है।

Meaning & Significance of Siddhi Lakshmi Stotram

यह स्तोत्र देवी को—

  • आनंददायिनी
  • क्लेश-नाशिनी
  • दैत्य-नाशिनी
  • तेजस्वी
  • वरदायिनी

के रूप में वर्णित करता है।

नियमित पाठ से—

  • दुख, भय, चिंता और दरिद्रता समाप्त होती है
  • पाप नष्ट होते हैं
  • आत्मविश्वास और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है
  • घर में शुभ ऊर्जा स्थापित होती है

Siddhi Lakshmi Stotram Lyrics in Sanskrit (श्री सिद्धि लक्ष्मी स्तोत्रम)

[Full Sanskrit Stotram — EXACT LYRICS]

विनियोगः

ॐ अस्य श्री सिद्धलक्ष्मीस्तोत्रमन्त्रस्य हिरण्यगर्भऋषिः अनुष्टुप्छन्दः
श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः श्रीं बीजं ह्रीं शक्तिः क्लीं
कीलकं मम सर्वक्लेशपीडापरिहारार्थं सर्वदुःखदारिद्र्यनाशनार्थं सर्वकार्यसिध्यर्थं
च श्रीसिद्धलक्ष्मीस्तोत्रपाठे विनियोगः ।।

ऋष्यादिन्यास

ॐ हिरण्यगर्भ ऋषये नमः शिरसि ।।
अनुष्टुप्छन्दसे नमो मुखे ।।
श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वती देवताभ्यो नमो हृदि ।।
श्रीं बीजाय नमो गुह्ये ।।
ह्रीं शक्तये नमः पादयोः ।।
क्लीं कीलकाय नमो नाभौ ।
विनियोगाय नमः सर्वाङ्गेषु ।

करन्यास

ॐ श्रीं सिद्धलक्ष्म्यै अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रीं विष्णुतेजसे तर्जनीभ्यां नमः ।
ॐ क्लीं अमृतानन्दायै मध्यमाभ्यां नमः ।
ॐ श्रीं दैत्यमालिन्यै अनामिकाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रीं तेजःप्रकाशिन्यै कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
ॐ क्लीं ब्राह्म्यै वैष्णव्यै रुद्राण्यै करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।

हृदयादि षडङ्गन्यास

ॐ श्रीं सिद्धलक्ष्म्यै हृदयाय नमः ।
ॐ ह्रीं विष्णुतेजसे शिरसे स्वाहा ।
ॐ क्लीं अमृतानन्दायै शिखायै वषट नमः ।
ॐ श्रीं दैत्यमालिन्यै कवचाय हुम् ।
ॐ ह्रीं तेजःप्रकाशिन्यै नेत्रत्रयाय वौषट ।
ॐ क्लीं ब्राह्म्यै वैष्णव्यै रुद्राण्यै अस्त्राय फट ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं सिद्धलक्ष्म्यै नमः
तालत्रयं दिग्बंधनं च कुर्यात ।।

ध्यानं

ब्राह्मीं च वैष्णवीं भद्रां षड्भुजां च चतुर्मुखीम् ।
त्रिनेत्रां खड्ग त्रिशूल पद्मचक्र गदाधराम् ।।
पीताम्बरधरां देवीं नानालङ्कार भूषिताम्
तेजःपुञ्जधरीं देवीं ध्यायेद् बालकुमारिकाम् ।।

ॐ कारं लक्ष्मीरूपं तु विष्णुं हृदयमव्ययम् ।
विष्णुमानन्दमव्यक्तं ह्रींकारं बीजरूपिणीम् ।। 1 ।।

क्लीं अमृतानन्दिनीं भद्रां सदात्यानंददायिनीम्
श्रीं दैत्यशमनीं शक्तिं मालिनीं शत्रुमर्दिनीम् ।। 2 ।।

तेजः प्रकाशिनीं देवीं वरदां शुभकारिणीम् ।
ब्राह्मीं च वैष्णवीं रौद्रीं कालिकारूपशोभिनीम् ।। 3 ।।

अकारे लक्ष्मीरुपं तु उकारे विष्णुमव्ययं ।
मकारः पुरुषोऽव्यक्तो देवीप्रणव उच्यते ।। 4 ।।

सूर्यकोटि प्रतीकाशं चन्द्रकोटिसमप्रभं ।
तन्मध्ये निकरं सूक्ष्मं ब्रह्मरुपं व्यवस्थितम ।। 5 ।।

ॐकारं परमानन्दं सदैव सुखसुंदरीं ।
सिद्धलक्ष्मि मोक्षलक्ष्मि आद्यलक्ष्मि नमोऽस्तु ते ।। 6 ।।

सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते ।
प्रथमं त्र्यम्बका गौरी द्वितीयं वैष्णवी तथा ।
तृतीयं कमला प्रोक्ता चतुर्थं सुंदरी तथा ।। 7 ।।

पञ्चमं विष्णुशक्तिश्च षष्ठं कात्यायनी तथा ।
वाराही सप्तमं चैव ह्यष्टमं हरिवल्लभा ।। 8 ।।

नवमी खडिगनी प्रोक्ता दशमं चैव देविका ।
एकादशं सिद्धलक्ष्मीर्द्वादशं हंसवाहिनी ।। 10 ।।

एतत्स्तोत्रवरं देव्या ये पठन्ति सदा नराः ।
सर्वापद्भयो विमुच्यन्ते नात्र कार्या विचारणा ।। 11 ।।

एकमासं द्विमासं च त्रिमासं माञ्चतुष्टयं ।
पञ्चमासं च षण्मासं त्रिकालं यः सदा पठेत ।। 12 ।।

ब्राह्मणः क्लेशितो दुःखी दारिद्र्यामयपीडितः ।
जन्मान्तरसहस्त्रोत्थैर्मुच्यते सर्वकिल्बिषैः ।। 13 ।।

दरिद्रो लभते लक्ष्मीमपुत्रः पुत्रवान भवेत् ।
धन्यो यशस्वी शत्रुघ्नो वह्निचॉैरभयेषु च ।। 14 ।।

शाकिनी भूतवेताल सर्पव्याघ्र निपातने ।
राजद्वारे सभास्थाने कारागृह निबन्धने ।। 15 ।।

ईश्वरेण कृतं स्तोत्रं प्राणिनां हितकारकं ।
स्तुवन्तु ब्राह्मण नित्यं दारिद्र्यं न च बाधते ।
सर्वपापहरा लक्ष्मीः सर्वसिद्धिप्रदायिनी ।। 16 ।।

।। इति श्रीब्रह्मपुराणे ईश्वरविष्णु संवान्दे श्रीसिद्धलक्ष्मी स्तोत्रं सम्पूर्णं ।।

Siddhi Lakshmi Stotram Lyrics Meaning in Hindi

नीचे मैं पूरा विनियोग, ऋष्यादि-न्यास, कर-न्यास, षडङ्ग-न्यास, ध्यान और मूल स्तोत्र का अर्थ व्यवस्थित और विस्तार से समझा रहा हूँ।

1. विनियोग (Vinayoga) का पूरा और गहरा अर्थ

मंत्र:

ॐ अस्य श्री सिद्धलक्ष्मीस्तोत्रमन्त्रस्य हिरण्यगर्भऋषिः अनुष्टुप्छन्दः
श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः श्रीं बीजं ह्रीं शक्तिः क्लीं कीलकं
मम सर्वक्लेशपीडापरिहारार्थं सर्वदुःखदारिद्र्यनाशनार्थं सर्वकार्यसिध्यर्थं
च श्रीसिद्धलक्ष्मीस्तोत्रपाठे विनियोगः ।।

अब इसे लाइन दर लाइन, शब्द दर शब्द समझिए:

(1) “ॐ अस्य श्री सिद्धलक्ष्मीस्तोत्र मन्त्रस्य…”

इसका अर्थ है –
“यह जो श्री सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र का मंत्र है…”
यानी अब जो पाठ होने वाला है, उसको औपचारिक रूप से शुरू करने से पहले हम उसके बारे में घोषणा कर रहे हैं – यह कौन सा स्तोत्र है, उसका ऋषि कौन है, कौन देवता हैं, कौन सा छन्द है इत्यादि।

(2) “हिरण्यगर्भ ऋषिः”

यहाँ बताया जा रहा है कि इस स्तोत्र के ऋषि (जिन्होंने इसे देखा/अनुभव किया/प्रकट किया) ‘हिरण्यगर्भ’ हैं।
ऋषि का नाम बताने का मतलब है –
साधक यह स्वीकार कर रहा है कि यह स्तोत्र किसी सामान्य मन से नहीं, बल्कि दिव्य दृष्टि वाले ऋषि के अनुभव से उत्पन्न हुआ है, इसलिए यह साधारण शब्द नहीं, बल्कि ऋषि-प्रमाणित मंत्र-शक्ति है।

(3) “अनुष्टुप् छन्दः”

यह बताता है कि इस स्तोत्र का छन्द ‘अनुष्टुप्’ है
यानी इसके श्लोकों की संरचना वैसी ही है जैसी हम सामान्यतः भगवद्गीता, रामायण आदि के श्लोकों में देखते हैं।
छन्द का उल्लेख करने से यह संकेत मिलता है कि –

  • पाठ करते समय उच्चारण और लय का ध्यान रखना चाहिए।
  • सही छन्द में पाठ करने से मंत्र की कंपन शक्ति (vibration) पूर्ण रूप से जागृत होती है।

(4) “श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः”

यहाँ बताया गया है कि इस स्तोत्र की मुख्य देवियाँ तीन हैं

  • महाकाली – जो भय, नकारात्मकता, शत्रु और बंधन काटती हैं।
  • महालक्ष्मी – जो धन, समृद्धि, सौभाग्य और सौंदर्य देती हैं।
  • महासरस्वती – जो विद्या, बुद्धि, वाणी और ज्ञान देती हैं।

इसका अर्थ यह है कि–
जब साधक इस स्तोत्र का पाठ करता है, तो वह केवल लक्ष्मी ही नहीं, बल्कि काली, लक्ष्मी और सरस्वती – इन तीनों महाशक्तियों की कृपा का अधिकारी बनता है।

(5) “श्रीं बीजं, ह्रीं शक्ति:, क्लीं कीलकं”

यह हिस्सा बहुत गूढ़ और महत्वपूर्ण है।

  • “श्रीं बीजं”
    • ‘श्रीं’ लक्ष्मी का बीज मंत्र है।
    • यह धन, सौंदर्य, सौभाग्य, समृद्धि, मंगल और उन्नति का बीज है।
    • यह बताता है कि पूरे स्तोत्र की मूल ऊर्जा श्रीं बीज से बह रही है।
  • “ह्रीं शक्ति:”
    • ‘ह्रीं’ को महामाया बीज भी कहा जाता है।
    • यह आंतरिक शुद्धि, हृदय की पवित्रता, आध्यात्मिक उन्नति, भक्ति और चित्त की निर्मलता का प्रतीक है।
    • इससे स्तोत्र की शक्ति आध्यात्मिक स्तर पर सक्रिय होती है।
  • “क्लीं कीलकं”
    • ‘क्लीं’ कामबीज है, पर यहाँ इसका अर्थ आकर्षण, प्रेम, सौम्यता, पूर्णता और सफलता को अपनी ओर खींचने वाली शक्ति से है।
    • “कीलक” का अर्थ होता है – ताला / कील / लॉक
    • कीलकं का मतलब है – वह “कुंजी” या “ताला” जो मंत्र की शक्ति को खोलता या बाँधता है।
    • जब साधक सही भाव से पाठ करता है, तो ‘क्लीं’ उस शक्ति को अनलॉक कर देता है – यानी सिद्धि, कृपा, सफलता और आकर्षण की धारा खुल जाती है।

(6) “मम सर्वक्लेशपीडापरिहारार्थं”

इस वाक्य में साधक अपना संकल्प बोलता है:

“मेरे सभी क्लेश और पीड़ा दूर करने के लिए…”

  • क्लेश = मानसिक दुख, बेचैनी, तनाव, असंतोष
  • पीड़ा = शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक या सामाजिक तकलीफें

साधक यह घोषणा करता है कि –
मैं यह स्तोत्र सिर्फ़ रटने के लिए नहीं, बल्कि अपनी वास्तविक जीवन की पीड़ाओं से मुक्ति के लिए पढ़ रहा हूँ।

(7) “सर्वदुःखदारिद्र्यनाशनार्थं”

“मेरे जीवन के सारे दुख और दरिद्रता को नष्ट करने के लिए…”

  • दुःख – असफलता, अपमान, हानि, मानसिक पीड़ा
  • दारिद्र्य – केवल पैसों की कमी नहीं, बल्कि
    • अवसरों की कमी
    • रिश्तों में कमी
    • आत्मविश्वास में कमी
    • सौभाग्य में कमी

यानी साधक यह संकल्प करता है –
“मैं यह पाठ केवल धन के लिए नहीं, बल्कि समग्र रूप से अपनी दरिद्रता, अभाव और कमी को मिटाने के लिए कर रहा हूँ।”

(8) “सर्वकार्यसिध्यर्थं”

“अपने सभी कार्यों की सिद्धि (सफलता) के लिए…”

इसका अर्थ यह है कि:

  • रुके हुए सरकारी काम
  • कोर्ट-कचहरी के केस
  • नौकरी, प्रमोशन, इंटरव्यू
  • व्यापार की प्रगति
  • विवाह, संतान, पढ़ाई, यात्रा आदि

जो भी धर्मसम्मत, शुभ और उचित कार्य हैं, उनकी सफलता के लिए यह स्तोत्र आध्यात्मिक टॉनिक की तरह काम करता है।

(9) “च श्रीसिद्धलक्ष्मीस्तोत्रपाठे विनियोगः”

“और इन सब उद्देश्यों के लिए मैं श्री सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र के पाठ का विनियोग (उपयोग / नियोजन) करता/करती हूँ।”

  • “विनियोग” का अर्थ है –
    • किसी मंत्र या स्तोत्र की शक्ति को विशेष उद्देश्य के लिए नियोजित करना या समर्पित करना।
    • यह एक तरह से संकल्प-वाक्य है।

मतलब:
साधक पूरी स्पष्टता से ब्रह्मांड से कहता है –

“मैं यह पाठ सिर्फ़ औपचारिकता के लिए नहीं, बल्कि अपने दुख, क्लेश, दरिद्रता हटाने और अपने सभी शुभ कार्यों की सिद्धि के उद्देश्य से कर रहा/रही हूँ। हे सिद्ध लक्ष्मी! मेरे इस पाठ को इन्हीं उद्देश्यों में नियोजित (लागू) करें।”

2. ऋष्यादि-न्यास – गहरा अर्थ

आपने सही लिखा है, लेकिन चलिए इसे थोड़ा और गहरा बनाते हैं:

  • सिर पर हिरण्यगर्भ ऋषि को नमस्कार
    यह प्रतीक है कि हमारी बुद्धि, विचार और संकल्प अब ऋषि की परंपरा से जुड़े हैं। हम अहंकार से नहीं, ऋषियों की परंपरा से जुड़कर पाठ कर रहे हैं।
  • मुख में अनुष्टुप् छन्द को स्थापित करना
    इससे संकेत है कि हमारी वाणी, उच्चारण और जिह्वा, छन्द की पवित्र लय के अनुकूल हो जाए।
    यानी जो बोलें वह संतुलित, मापित और शुभ हो
  • हृदय में महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती
    हमारे हृदय में शक्ति (काली), समृद्धि (लक्ष्मी) और ज्ञान (सरस्वती) – तीनों का निवास हो।
    हृदय से की गई साधना सबसे शक्तिशाली होती है।
  • गुह्य स्थान में श्रीं, पैरों में ह्रीं, नाभि में क्लीं
    यह शरीर के ऊर्जा केंद्रों पर देवी के बीजों को स्थापित करने का सूक्ष्म संकेत है, ताकि पूरा शरीर दिव्य ऊर्जा से भर जाए।

3. करन्यास – व्यावहारिक अर्थ

यहाँ साधक अपने दोनों हाथों को देवी की शक्तियों का माध्यम बनाता है:

  • अंगूठा – सिद्ध लक्ष्मी को समर्पित → कर्म की दिशा सही हो
  • तर्जनी – विष्णु का तेज → सही निर्णय, धर्म और मर्यादा
  • मध्यमिका – अमृत और आनंद → हमारी क्रिया से सुख और शांति फैले
  • अनामिका – दैत्य-नाशिनी शक्ति → कर्मों से नकारात्मकता कटे
  • कनिष्ठा – तेज-प्रकाश → सूक्ष्म दृष्टि और जागरूकता
  • हथेली और हाथों का पृष्ठभाग – ब्राह्मी, वैष्णवी, रुद्राणी → कर्म, रक्षा और कृपा का समन्वय

मतलब –
हमारे हाथ जो भी करें, वह देवी की प्रेरणा से, धर्मसम्मत, शुभ और सफल हो।

4. हृदयादि षडङ्गन्यास – छह स्थानों पर देवी की स्थापना

साधक अपने शरीर के छह मुख्य अंगों में शक्ति स्थापित करता है:

  1. हृदय – सिद्ध लक्ष्मी का निवास → करुणा, स्थिरता, भक्ति
  2. शिर – विष्णु का तेज → सही सोच, संतुलन, नीति
  3. शिखा – अमृत और आनंद → ऊँची आध्यात्मिक चेतना
  4. कवच – दैत्यमालिनी शक्ति → रक्षा, निगेटिविटी से सुरक्षा
  5. नेत्रत्रय – तेजः प्रकाशिनी शक्ति → अंतरदृष्टि, विवेक, जागरूकता
  6. अस्त्र (हथियार) – ब्राह्मी, वैष्णवी, रुद्राणी → बाहरी और सूक्ष्म शत्रुओं से रक्षा

“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं…” से तालत्रय और दिग्बंधन का अर्थ है –

“अब चारों दिशाओं, ऊपर-नीचे, सब ओर देवी की सुरक्षा-रेखा खिंच गई है; अब मैं सुरक्षित साधना कर सकता/सकती हूँ।”

5. ध्यान – देवी के स्वरूप का पूर्ण भावार्थ

ध्यान श्लोक में:

  • देवी ब्राह्मी, वैष्णवी, भद्रा – यानी सृष्टि, पालन, संहार और मंगल की सामूहिक शक्ति हैं।
  • षड्भुजा, चतुर्मुखी, त्रिनेत्री – वे कर्म, ज्ञान, शक्ति – तीनों स्तरों पर पूर्ण हैं।
  • हाथों में खड्ग, त्रिशूल, पद्म, चक्र, गदा –
    • खड्ग – अज्ञान का नाश
    • त्रिशूल – तीन प्रकार के तापों का नाश
    • पद्म – करुणा और सौंदर्य
    • चक्र – समय, धर्म और संचालन
    • गदा – स्थिरता और शक्ति

पीताम्बर, आभूषण, तेज-पुंज और बालकुमारी रूप –
देवी एक साथ सर्वोच्च शक्ति भी हैं और साधारण भक्त के लिए सरल, सुलभ, स्नेहमयी माँ भी हैं।

6. मूल स्तोत्र – सार भाव

आपने जो अर्थ लिखा है, वह बहुत अच्छा है। उसे थोड़ा और गाढ़ा करके समझें:

  • ‘ॐ’ को लक्ष्मी का रूप और विष्णु को उनका अविनाशी हृदय बताना → समृद्धि और पालन एक-दूसरे से अभिन्न हैं
  • ‘क्लीं’ वाली देवी – आनंद, शुभ फल, शत्रु-विनाश, दैत्य-शमन →
    वह शक्ति जो आनंद भी देती है और रक्षा भी करती है
  • ‘अ’, ‘उ’, ‘म’ अक्षर → लक्ष्मी, विष्णु, अव्यक्त पुरुष → यह दिखाता है कि सृष्टि, पालन और लय – तीनों ही देवी के अधीन हैं
  • सूर्यकोटि-चंद्रकोटि जैसा तेज और मध्य में सूक्ष्म ब्रह्म →
    देवी केवल “धन की देवी” नहीं, बल्कि स्वयं ब्रह्मस्वरूपिणी हैं।
  • बारह रूपों का वर्णन →
    जीवन के हर क्षेत्र – धन, ज्ञान, विजय, संतान, वैराग्य, शक्ति, संरक्षण – सबको कवर करने वाली सम्पूर्ण देवी।

7. फलश्रुति – परिणाम का गहरा अर्थ

  • नित्य पाठ → उपद्रव, कष्ट, जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति
  • मासानुसार पाठ → 1–6 महीने तक, दिन में तीन बार →
    जीवन से गहरे स्तर की बाधाएं हटने लगती हैं।
  • दरिद्र को लक्ष्मी, निःसंतान को संतान, शत्रु पर विजय, अग्नि-चोर-भूत-प्रेत-सर्प-व्याघ्र से रक्षा →
    यानी भौतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक – तीनों स्तर पर पूर्ण सुरक्षा और समृद्धि।

Benefits of Siddhi Lakshmi Stotram

1. मानसिक शांति और स्टेबल माइंड

  • चिंता, भय और मानसिक अस्थिरता समाप्त होती है
  • मन शांत और एकाग्र होता है

2. आर्थिक उन्नति और धन-संपत्ति

  • दरिद्रता दूर होती है
  • आय के नए अवसर बनते हैं

3. बाधाओं का नाश और कार्यों में सफलता

  • रुके हुए कार्य सिद्ध होते हैं
  • जीवन की रुकावटें दूर होती हैं

4. घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा

  • नकारात्मक प्रभाव समाप्त
  • वातावरण शुभ और शांत

5. आत्मविश्वास और ऊर्जा में वृद्धि

  • साहस, निर्णय क्षमता और प्रगति बढ़ती है

6. आध्यात्मिक उन्नति

  • साधक देवी से जुड़ता है
  • मन और आत्मा शुद्ध होती है

7. सुरक्षा और दुष्ट शक्तियों से रक्षा

  • भूत-प्रेत, नेगेटिविटी, शत्रु बाधाएँ समाप्त

How to Chant Siddhi Lakshmi Stotram Properly

चरण विवरण
1 सुबह या शाम शांत स्थान चुनें
2 स्नान करें, मन शांत रखें
3 पूर्व दिशा की ओर बैठकर पाठ करें
4 सही उच्चारण और लय बनाए रखें
5 देवी के स्वरूप का ध्यान करें
6 पाठ के बाद कृतज्ञता प्रकट करें
7 प्रतिदिन या कम से कम शुक्रवार को पाठ करें

Table: Benefits, Best Time, Results

उद्देश्य सर्वश्रेष्ठ समय परिणाम
आर्थिक उन्नति शुक्रवार, पूर्णिमा धन वृद्धि
मानसिक शांति सुबह का समय तनाव समाप्त
कार्य सिद्धि नए कार्य शुरू करने से पहले सफलता
घर में शांति प्रतिदिन संध्या सकारात्मक ऊर्जा
सुरक्षा मंगलवार/शनिवार बाधा निवारण

Book a Pandit or Samagri for Any Puja (Panditji on way)

India’s First & Largest Online Puja Booking Platform

  • Zero Upfront Cost
  • 100% Free Call from Pandit to Decide Muhurat
  • Trusted & Verified Pandits

Book Now:
https://www.panditjionway.com
(Panditji on way)

  1. https://www.drikpanchang.com
  2. https://vedicheritage.gov.in

FAQs for Siddhi Lakshmi Stotram

1. What is Siddhi Lakshmi Stotram?

It is a divine hymn dedicated to Goddess Siddhi Lakshmi for success, wealth, peace, and spiritual upliftment.

2. When should we chant Siddhi Lakshmi Stotram?

Best during morning or evening, especially on Fridays or auspicious days.

3. Can beginners chant this stotram?

Yes, यह स्तोत्र सरल है और कोई भी श्रद्धा से पढ़ सकता है।

4. Does it help in financial problems?

Yes, regular chanting reduces financial obstacles and increases prosperity.

5. How many times should I chant daily?

Once daily is enough; twice gives faster results.

6. Does this stotram remove fear and negativity?

Yes, it protects from negative forces, fear, and unseen obstacles.

7. Can this be chanted without a Pandit?

Yes, but for special puja or Siddhi you may book a Pandit.

1. What is Siddhi Lakshmi Stotram and why is it chanted?

Siddhi Lakshmi Stotram माँ लक्ष्मी के सिद्धि-स्वरूप का अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसे जीवन से क्लेश, बाधाएँ, आर्थिक समस्याएँ, मानसिक तनाव और दरिद्रता दूर करने के लिए पढ़ा जाता है। इसका नियमित पाठ सफलता, समृद्धि, शांति और शुभ ऊर्जा प्रदान करता है।

2. When is the best time to chant Siddhi Lakshmi Stotram for maximum benefits?

सुबह ब्रह्म मुहूर्त, सूर्य उदय के बाद, या शाम संध्या बेला का समय सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। शुक्रवार, पूर्णिमा और शुभ मुहूर्त में पाठ करने से लाभ कई गुना बढ़ जाता है।

3. Who should chant Siddhi Lakshmi Stotram?

जो व्यक्ति आर्थिक समस्याओं, मानसिक तनाव, असफलता, शत्रु बाधा, भय, पाप-दोष या जीवन में अस्थिरता से जूझ रहा हो, वह इस स्तोत्र का पाठ कर सकता है। यह गृहस्थ, विद्यार्थी, व्यापारी, साधक—सभी के लिए उपयुक्त है।

4. How many times should Siddhi Lakshmi Stotram be chanted daily?

दिन में एक बार पाठ करने से भी लाभ मिलता है, परन्तु तीन बार (सुबह–दोपहर–शाम) पाठ करने से कार्य सिद्धि, आर्थिक वृद्धि और मानसिक शांति शीघ्र प्राप्त होती है।

5. What are the spiritual benefits of chanting Siddhi Lakshmi Stotram?

इस स्तोत्र से मन, बुद्धि और आत्मा शुद्ध होती है। साधक में स्थिरता, वैराग्य, अंतर्ज्ञान, विवेक और आध्यात्मिक जागृति बढ़ती है। देवी की शक्तियाँ साधक के हृदय, मन और कर्म में संतुलन स्थापित करती हैं।

6. Does Siddhi Lakshmi Stotram help in removing financial problems?

हाँ। यह स्तोत्र विशेष रूप से दारिद्र्य नाश, आर्थिक वृद्धि, धन स्थिरता, अवसरों में वृद्धि और बाधाओं के निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है।

7. Can Siddhi Lakshmi Stotram be chanted without a Guru or Pandit?

हाँ, इसे कोई भी शुद्ध मन और सही उच्चारण के साथ पढ़ सकता है। यदि किसी खास मुहूर्त या सिद्धि के लिए पाठ करना हो, तो पंडित की मार्गदर्शन सहायक होता है।

8. What are the rules for chanting Siddhi Lakshmi Stotram?

  • शांत और स्वच्छ स्थान चुनें
  • पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठें
  • दीपक, फूल और जल अर्पित करें
  • साफ़ उच्चारण, ध्यान और भक्ति रखें
  • मन देवी पर केंद्रित हो
  • पाठ के बाद कृतज्ञता प्रकट करें

9. How long should one chant Siddhi Lakshmi Stotram to see results?

नियमित रूप से 30 से 90 दिनों में स्पष्ट परिवर्तन महसूस होने लगता है। परंपरा में 1, 3 या 6 महीने का पाठ जीवन की बाधाएँ पूरी तरह शांत करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

10. Can Siddhi Lakshmi Stotram protect from negative energies?

हाँ, यह स्तोत्र नकारात्मक शक्तियों, भूत-प्रेत बाधा, नज़र दोष, शत्रु बाधा, कोर्ट केस, भय, अवरोध और दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।

11. Is Siddhi Lakshmi Stotram helpful for job, business and career growth?

हाँ। इसका पाठ बुद्धि, साहस, निर्णय क्षमता और अवसरों को बढ़ाता है। रुके हुए कार्य सिद्ध होते हैं और नए मार्ग खुलते हैं।

12. What is the meaning of “Siddhi Lakshmi”?

“Siddhi Lakshmi” वह शक्ति है जो धन के साथ-साथ सफलता, सिद्धि, बुद्धि, तेज, संरक्षण और आत्मिक उन्नति प्रदान करती है।

13. Can women chant Siddhi Lakshmi Stotram during periods?

हाँ। आधुनिक वैदिक परंपरा में मन और भाव को प्राथमिकता दी जाती है। योग्य पंडित भी इसे पाठ के लिए अनुमत मानते हैं, यदि मन और वातावरण शुद्ध हों।

14. Is audio recitation of Siddhi Lakshmi Stotram equally effective?

हाँ, यदि आप श्रवण करते समय पूर्ण ध्यान, श्रद्धा और मनोभाव से जुड़े रहते हैं।

15. Where to book a Pandit for Siddhi Lakshmi Puja?

आप भारत का पहला और सबसे विश्वसनीय ऑनलाइन पूजा प्लेटफ़ॉर्म उपयोग कर सकते हैं:
https://www.panditjionway.com
यहाँ से आप Zero Upfront Cost में किसी भी पूजा हेतु पंडित बुक कर सकते हैं।

Conclusion

Siddhi Lakshmi Stotram जीवन के हर स्तर—आर्थिक, मानसिक, आध्यात्मिक और पारिवारिक—को समृद्ध, शांत और सफल बनाता है।
नियमित पाठ से—

  • धन की वृद्धि
  • बाधाओं का नाश
  • मानसिक स्थिरता
  • आध्यात्मिक उन्नति
  • घर में सुख-शांति

सभी प्राप्त होते हैं।

यदि आप अपने जीवन में स्थिरता, सफलता और समृद्धि चाहते हैं, तो सिद्धि लक्ष्मी स्तोत्रम का नियमित पाठ अत्यंत लाभकारी है।

For Puja Booking & Pandit Services:
https://www.panditjionway.com