ॐ जय शिव ओंकारा आरती: संपूर्ण पाठ, अर्थ और महत्त्व
ॐ जय शिव ओंकारा आरती हिन्दू धर्म की एक प्रसिद्ध और शक्तिशाली आरती है जो भगवान शिव की पूजा में गाई जाती है। यह आरती शिवजी के दिव्य रूप और उनके गुणों का वाचन करती है। इस आरती के द्वारा भक्तों को भगवान शिव के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। इस लेख में हम आपको “ॐ जय शिव ओंकारा आरती” के सम्पूर्ण लिरिक्स, उसका अर्थ और शिव पूजा विधि के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे, ताकि आप इस आरती को सही तरीके से गा सकें और शिव पूजा का लाभ उठा सकें।
भगवान शिव, जिन्हें देवों के देव “महादेव” कहा जाता है, त्रिदेवों में संहारक के रूप में पूजे जाते हैं। उनकी आराधना विभिन्न रूपों में की जाती है, और “ॐ जय शिव ओंकारा” आरती उनका गुणगान करने का एक अत्यंत शुभ माध्यम है।
यह आरती शिवरात्रि, श्रावण मास, रुद्राभिषेक, प्रदोष व्रत, या प्रतिदिन शिव पूजा के समय गाई जाती है। इस ब्लॉग में हम प्रस्तुत कर रहे हैं इस आरती का पूरा पाठ, उसका शब्दार्थ, आध्यात्मिक महत्त्व, और पंडित बुकिंग की सुविधा PanditJi On Way से।
ॐ जय शिव ओंकारा आरती (हिंदी में अर्थ सहित)
आरती पाठ:
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥
आरती का भावार्थ:
- ॐ जय शिव ओंकारा – हे ओंकार रूपी शिव! आपकी जय हो।
- ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव – आप सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं।
- अनेक मुखों वाले रूप – आप विभिन्न रूपों में प्रकट होते हैं, और तीनों लोक आपकी महिमा का गुणगान करते हैं।
- रुद्राक्ष, कपाल और सर्पों की माला धारण करते हैं – आप श्मशान के स्वामी होकर भी अत्यंत करुणामय हैं।
- डमरू बजता है, भूत-पिशाच नृत्य करते हैं – गणेश जी हँसते हैं और नंदी के साथ लीला होती है।
- भस्म से अलंकृत शरीर और गंगाधर रूप – आप कैलाश पर निवास करते हैं और मां पार्वती के प्रिय हैं।
- त्रिशूल और डमरू धारण कर भक्तों की रक्षा करते हैं – हर संकट से मुक्ति देने वाले आप ही हैं।
- जो भक्त सच्चे मन से आपका ध्यान करता है – वह संसार सागर से पार हो जाता है।
आरती का आध्यात्मिक महत्त्व
“ॐ जय शिव ओंकारा” आरती का गायन करते समय वातावरण में एक विशेष शिव ऊर्जा का संचार होता है। यह आरती:
- नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है
- भक्त के मन को शांत करती है
- जीवन में शुभता और संतुलन लाती है
- आत्मा को शिव से जोड़ती है
कब करें इस आरती का पाठ?
आप इस आरती को निम्न अवसरों पर कर सकते हैं:
- प्रतिदिन प्रातः या संध्या शिव पूजा में
- महाशिवरात्रि पर
- श्रावण मास में
- प्रदोष व्रत के दिन
- रुद्राभिषेक या महामृत्युंजय जाप के बाद
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र. 1: क्या मैं “ॐ जय शिव ओंकारा” आरती रोज़ गा सकता हूँ?
उत्तर: हाँ, आप इस आरती को प्रतिदिन सुबह या शाम में श्रद्धा से गा सकते हैं। यह न केवल आपके जीवन में शांति लाती है, बल्कि भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होती है।
प्र. 2: क्या शिव पूजा के लिए पंडित की आवश्यकता है?
उत्तर: यदि आप नियमित शिव पूजा करते हैं, तो आप इसे स्वयं भी कर सकते हैं। हालांकि, विशेष अनुष्ठान जैसे रुद्राभिषेक या महामृत्युंजय जाप के लिए योग्य और अनुभवी पंडित की उपस्थिति उचित होती है। आप हमारे प्लेटफार्म PanditJi On Way से पंडित बुक कर सकते हैं।
प्र. 3: क्या केवल “ॐ जय शिव ओंकारा” आरती का श्रवण करना भी लाभकारी है?
उत्तर: हाँ, यदि आप इस आरती को ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से सुनते हैं, तो भी आपको इसके आध्यात्मिक लाभ मिल सकते हैं। यह आरती शिव के आशीर्वाद और शांति का स्रोत है।
प्र. 4: क्या पंडित ऑनलाइन बुक किए जा सकते हैं?
उत्तर: जी हाँ, आप PanditJi On Way से अपने शहर में पंडित को ऑनलाइन बुक कर सकते हैं। हमारे पंडित अनुभवी और प्रमाणित हैं, जो आपके घर या मंदिर में पूजा विधि के अनुसार पूरी श्रद्धा से अनुष्ठान करेंगे।
प्र. 5: “ॐ जय शिव ओंकारा” आरती के माध्यम से मुझे कौन-कौन से लाभ मिल सकते हैं?
उत्तर: इस आरती के नियमित पाठ से आपको जीवन में शांति, मानसिक संतुलन और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और आत्मा को शांति प्रदान करने में मदद करती है।
प्र. 6: “ॐ जय शिव ओंकारा” आरती को कब गाया जा सकता है?
उत्तर: आप इसे प्रतिदिन प्रातः या संध्या समय गा सकते हैं। यह विशेष रूप से महाशिवरात्रि, श्रावण मास, प्रदोष व्रत, और रुद्राभिषेक के समय भी अत्यंत लाभकारी है।
प्र. 7: क्या मैं घर में शिव पूजा सही तरीके से कर सकता हूँ?
उत्तर: हाँ, आप घर में शिव पूजा सही तरीके से कर सकते हैं। इसके लिए आवश्यक पूजा सामग्री और विधि के बारे में मार्गदर्शन के लिए PanditJi On Way से पंडित बुक कर सकते हैं। वे आपको हर कदम पर सही मार्गदर्शन देंगे।
निष्कर्ष
“ॐ जय शिव ओंकारा” आरती न केवल एक भक्तिपूर्ण गान है, बल्कि आत्मा को परम शिव से जोड़ने का माध्यम है। इसके नियमित पाठ से जीवन में शांति, आनंद और अध्यात्मिक शक्ति आती है।
यदि आप इस आरती को पूजा विधि के साथ करवाना चाहते हैं, तो PanditJi On Way से पंडित बुक करें और शिव कृपा को अपने जीवन में आमंत्रित करें।