Kamika Ekadashi 2025: कब और कैसे करें कामिका एकादशी व्रत, पूजन विधि, लाभ और FAQs
1. भूमिका
श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की Kamika Ekadashi (कामिका एकादशी) भगवान विष्णु को समर्पित दिव्य व्रत है। पुराणों में वर्णित इसकी महिमा अत्यधिक है—इतना कि इस व्रत का पुण्य अश्वमेध व वाजपेय यज्ञ के फल के बराबर माना गया है।
2. तिथि व शुभ मुहूर्त
वर्तमान वर्ष 2025 में

- एकादशी तिथि: 20 जुलाई दोपहर 12:12 बजे से शुरू होकर 21 जुलाई सुबह 09:38 बजे तक रहेगी कामिका
- एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Kamika Ekadashi 2025 Shubh Muhurt) वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन 21 जुलाई को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में कामिका एकादशी व्रत 21 जुलाई को किया जाएगा।
- पारण (द्वादशी विजय टाइम): 22 जुलाई सुबह 05:36 AM – 07:05 AM
3. कामिका एकादशी की कथा
इस व्रत की कथा भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कही थी। ब्रह्मा जी ने नारद को बताया कि श्रावण कृष्ण पक्ष की यह एकादशी ‘कामिका’ कहलाती है। केवल इस व्रत कथा का श्रवण करने मात्र से ही वैकुंठधाम का फल प्राप्त होता है।
वास्तविक कथा कहती है—
एक क्षत्रिय ने गलती से ब्राह्मण की हत्या कर दी थी। काफी पश्चाताप के बाद भी उसे ब्राह्मण हत्या के पाप से नहीं मुक्ति मिल रही थी। तब उसे ईशोपदेश मिला कि कम से कम श्रावण कृष्ण एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की उपासना करे। उसने व्रत रखा, रात्रि जागरण किया, तुलसी का पूजन किया—और उसी रात उसे स्वप्न में परम क्षमा प्राप्त हुई थी।
4. महत्व और दिव्य फल
- केवल व्रत कथा सुनने का फल वाजपेय यज्ञ जैसा माना गया है।
- इस व्रत को रखने, पूजा करने, रात्रि जागरण व दीपदान करने से आध्यात्मिक गति मिलती है और यमराज का भय समाप्त होता है।
- तुलसी के एक पत्र का पुण्य 200 ग्राम सोना और 800 ग्राम चाँदी दान करने के बराबर है।
- तुलसी-दर्शन मात्र से, स्पर्श मात्र से, सिंचन मात्र से और पूजन मात्र से भी पाप नष्ट होते हैं, यहाँ तक कि मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
- दीपक जलाकर पूजन करने से पितरों का स्वर्गलोक सुनिश्चित होता है।
5. पूजन विधि
- ब्रह्ममुहूर्त स्नान
- घर की साफ-सफाई, Gangajal छिड़काव
- भगवान विष्णु—श्रेष्ठतः श्रीहरि—की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
- पीले वस्त्र पहनकर तुलसी पत्र से पूजन करें
- चंदन, पुष्प, तिल, फल, पंचामृत अर्पण करें
- अथर्ववेद मंत्र, विष्णु सहस्रनाम, अथवा श्रीहरि की स्तुति का पाठ करें
- रात्रि जागरण—भजन-कीर्तन और दीपदान (घी/तिल के दीप में)—पूजा को पूर्ण करें
- द्वादशी तिथि में लगभग सुबह 05:36–07:05 बजे पारण करें, तिलयुक्त भोजन ग्रहण करें
6. व्रत विधि के प्रकार
- निर्जला (निराहार): बिना जल व भोजन के व्रत
- फलाहार नियम: तिल, दूध, दूध मलाई, फलों व निर्जंतुज जल की अनुमति
7. तुलसी का विशेष महत्व
तुलसी पीड़ित जीवों और संसार को पवित्र करती है। केवल एक तुलसी पत्र से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं–केवल उन्हें रत्नों से अधिक प्रिय।
FAQs – कामिका एकादशी 2025 व्रत से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. कामिका एकादशी क्या है और इसका महत्व क्या है?
कामिका एकादशी श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे करने से सभी पापों का नाश होता है। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन व्रत और जागरण करने वाला व्यक्ति वैकुंठधाम को प्राप्त करता है। इसका पुण्य अश्वमेध यज्ञ के बराबर होता है।
2. कामिका एकादशी 2025 में कब है और शुभ मुहूर्त क्या है?
2025 में कामिका एकादशी व्रत 20 जुलाई को मनाया जाएगा। एकादशी तिथि 20 जुलाई को दोपहर 12:12 बजे से शुरू होकर 21 जुलाई को सुबह 09:38 बजे तक है। पारण (व्रत तोड़ने का समय) 22 जुलाई को सुबह 05:36 से 07:05 बजे तक रहेगा।
3. कामिका एकादशी व्रत करने के क्या लाभ हैं?
इस व्रत के प्रमुख लाभ हैं:
- जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति
- मोक्ष की प्राप्ति (वैकुंठ गमन)
- यमराज का भय समाप्त
- पितरों की तृप्ति
- अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त
4. कामिका एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है?
व्रती को प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना कर तुलसी दल, चंदन, फूल, फल और धूप-दीप से पूजन करें। रात्रि में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और दीपदान करें। अगले दिन द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करें।
5. क्या कामिका एकादशी पर तुलसी पत्र अर्पण अनिवार्य है?
हाँ, भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। बिना तुलसी पत्र के पूजा अधूरी मानी जाती है। तुलसी पत्र अर्पित करने से हजारों यज्ञों के समान पुण्य प्राप्त होता है।
6. कामिका एकादशी की व्रत कथा क्या है?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कामिका एकादशी की कथा एक क्षत्रिय की है जिसने ब्राह्मण की हत्या कर दी थी। उसने कामिका एकादशी का व्रत कर भगवान विष्णु की आराधना की और उसे अपने पापों से मुक्ति मिली। इस कथा का श्रवण मात्र करने से भी वाजपेय यज्ञ जैसा पुण्य प्राप्त होता है।
7. कामिका एकादशी व्रत का पारण कब और कैसे करना चाहिए?
व्रत का पारण द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद करना चाहिए। पारण से पहले भगवान विष्णु की पुनः पूजा करें और फिर फलाहार या सात्विक अन्न का सेवन करें। पारण का उचित समय इस वर्ष 22 जुलाई की सुबह 05:36 से 07:05 बजे तक है।
8. क्या रात्रि जागरण करना अनिवार्य है?
रात्रि जागरण इस व्रत का एक महत्वपूर्ण भाग है। भगवान विष्णु की भक्ति में भजन, कीर्तन, मंत्र जाप और दीपदान करने से व्रत पूर्ण फलदायक होता है और यह व्यक्ति को दुर्गति से बचाता है।
9. कामिका एकादशी व्रत में क्या खा सकते हैं?
व्रत के दौरान व्रती केवल फलाहार (फल, दूध, साबूदाना, तिल, पानी) कर सकते हैं। कुछ लोग निर्जल उपवास भी करते हैं। अनाज, नमक, मसाले और मांसाहार पूरी तरह वर्जित हैं।
10. कामिका एकादशी व्रत कौन रख सकता है और क्या स्त्रियाँ भी रख सकती हैं?
हां, यह व्रत स्त्री, पुरुष, वृद्ध और युवा सभी के लिए फलदायक है। जो भी श्रद्धा और नियमपूर्वक इस व्रत को करता है, वह मोक्ष और पुण्य की प्राप्ति करता है।
11. निष्कर्ष
कामिका एकादशी श्राद्ध-श्रावण मास की पवित्र तिथि है जिसमें श्रद्धा, समर्पण और पूजन से आध्यात्मिक उन्नति सुनिश्चित होती है। तुलसी का पूजन, कथा श्रवण, विधिपूर्वक व्रत, रात्रि जागरण और पारण—इनके माध्यम से भक्त के जीवन पर दिव्य प्रभाव होता है। यह व्रत केवल पार्थिव दुःखों का अंत नहीं करता, बल्कि मोक्षलोक की उपलब्धि भी प्रदान करता है।